क्या आप Zindagi Par Kavita पढ़ना चाहते हैं, यदि हाँ तो आपने सही जगह चुनी है। यद्यपि जीवन को समझना बहुत ही कठिन कार्य है, फिर भी मैंने इस पर प्रकाश डालने का भरसक प्रयास किया है। वास्तव में ये संग्रह जीवन की खटास, माधुर्य और चुलबुलेपन को कविताओं के रूप में प्रदर्शित करता है। समय की आधुनिकता ने हमारे उठने, बैठने और चलने के तरीकों को बदल दिया है, ऐसे में ज़रूरी है कि हमारे अंदर स्थिरता बनी रहे। मुझे आशा है कि ये कविताएँ इस कसौटी पर खरी उतरेंगी।
Do you want to read poem based on life, if yes then you have chosen the right place. Although understanding life is a very difficult task, yet I have tried my best to throw light on it. In fact, this collection reflects the sourness, sweetness and flirtatiousness of life in the form of poems. The modernity of time has changed the way we get up, sit and walk, so it is necessary that there should be stability within us. I hope these poems will meet this test.
Zindagi Par Kavita Hindi Mein | नाराज़ मत हो
है अर्जित खून-पसीने से, नासाज़ मत हो
कौन सिवा तेरे, ज़िन्दगी नाराज़ मत हो
सारे रस्तों पर रुकावटें, खुला केवल दरीचा
उभरे उधर आहट तेरी, करता आया पीछा
हासिल शून्य जो रहेंगे ख़फ़ा एक-दूजे से
टूटेंगे अंकुरित सवाल मन ही मन बूझे से
फूटी हैं अभी कोंपलें नन्हे इस बागान में
करेंगे रखवाली, ना आए कमी सम्मान में
तू मुझमें निहित और मैं तुझमें हो जाऊँ
रहे अगाध, फलता-फूलता शाद ये गाँव
लगे आगोश में सूनेपन के तू भी, जैसे मैं
चल मिलकर घर के भेदियों की लंका ढहाऍं
-राज सरगम
ज़िन्दगी पाबंद है
ज़िन्दगी पाबंद है उसूलों की, आगे बढ़ती जाती है
चलो गर प्रसन्न चित्त, होकर ख़ुश हाथ मिलाती है
होती है सब में अहमियत किसी एक की लकदक
बिन जिसके करे तानाशाही अधूरापन बन सरपंच
पर है वक्त सबसे बड़ा डॉक्टर, या कहो ज़िन्दगी
ये घाव पे टाँका बनते हुए लाती है सुधार अंदरूनी।
-राज सरगम
Zindagi Poem In Hindi | उन्नीस-इक्कीस
क्या उन्नीस-इक्कीस हमारी त्वचा में
तेरी गोरी मेरी सॉंवली यही फर्क
दुत्कारे तू मुझे रंगभेद के चलते
वाजिब कैसे ठहरे ये बेतुका तर्क
तू इंसां मैं इंसां एकमात्र यथार्थ
रख सर्वोपरि भावनात्मक संपर्क
जीवन निरोगी काया बन पड़ेगा
ज़रा पिरो डाल संहिता चरक
-राज सरगम
Life Poetry In Hindi | दौड़
ज़िदगी की दौड़ में कुछ छूट गया, कुछ हासिल हुआ
किसी ने दुत्कारा, तो दी किसी ने हॅंसते हुए दुआ
सबके अपनेे किस्से हैं, कुछ बताने, कुछ छुपाने लायक
हों रंग जैसे भी इनके, कुछ खिलाफ हैं कुछ सहायक
नहीं पकड़ सकते हाथ हमारे बीते दौर के लम्हों को
होता नहीं कभी-कभी इख़्तियार में हमारे छूना जज़्बात को
रहते जिनके सान्निध्य में, होते पलक झपकते दूर हैं
उठें प्रश्न होता कैसे ये घटित, जाने कौन से गरूर हैं
ये दौड़ जीवन की चलती रहेगी सदैव क्रम में अपने
कहीं महकेंगे कहीं हो रूसवा बिखरेंगे किसी के सपने।
-राज सरगम
चवन्नी छाप
ज़िंदगी की पत्तल में व्यंजन से ख़्वाब हैं
कब्ज़ाए कुछ निर्धनता के कुछ नवाब हैं
न आना झॉंसे में के दागते हो प्रश्न पे प्रश्न
सब प्रश्नों के पीछे कहॉं मौजूद जवाब हैं
खाते हैं पल बे-पल मुलायम लातें नसीब कीं
होते उस दरम्यां चालू नवजीवन के आदाब हैं
दिखे दिलचस्पी math कहीं history में
इसलिए बचते कहीं-कहीं कच्चे हिसाब हैं
लो उमेठ कान सूरज के, न उबल ज़्यादा
अभी हटाए नहीं हमने छॉंव से हिजाब हैं
ले चूस समय भले ही नेकी कमाते-कमाते
हमें दिखती कठिन मुश्किलें चवन्नी छाप हैं।
-राज सरगम
अरे मौत
अरे मौत, क्यों हुए जाती
है इतनी उतावली?
कहीं भागे थोड़ी जा रहा हूं
करने दे कुछ वक्त ज़िन्दगी
को मेहमान-नवाज़ी
आखिर तेरा महबूब ही तो
रहूंगा बन के हमेशा के लिए।
-राज सरगम
दूजा नाम
ज़िन्दगी का दूजा नाम adjustment है
इसका अपना ही एक judgement है
रहकर ख़ामोश हमें सब पीना होगा
न चले ज़ुबॉं, इसे नापसंद argument है
हो नहीं सकती खेती, इसका बीज कहॉं
असल में इसकी अपनी placement है
है बेहद स्वादिष्ट, देखो कभी चख के
मीठी कभी नमकीन सौ percent है
देख लो डाल इसे तन पर अपने
ये दाम पे न मिलने वाली deodorant है
देती है बना चमकीला कोने कोने को
ये सबसे अलग रंग का एक paint है
बसते हैं सान्निध्य इसके जलवे खुदा के
शायद ही कोई इसके जैसा saint है
पास इसके सबके नाम के ख़त हैं
खूबी तो लिखी कहीं complaint है
छू लो इसे मोहब्बत से, है तितली ये
छुओगे बेमन तो होती पल में faint है
उजली हो या काली, है महबूबा ये अपनी
ग़मों की खुशहाली में यही ointment है
लगा लो सीने से, आएगा मज़ा जीने में
नहीं पक्का इसके बराबर cement है
है मीठा गीत ये, बॉंध लो संगीत में
दे सकून सबके मन, ये एक chant है
नामुमकिन दामन झटकना इससे, मान लो
अन्यथा देती साँसों को ये retirement है
समझ लो कीमत इसकी कशिश की
कभी ना खत्म होने वाली excitement है
मनाओ शुक्र है अपनाया इसने तुम्हें
मुझे तो देना यही एक statement है।
-राज सरगम
Hindi Kavita On Life | आड़े-टेढ़े मोड़
होती है तकलीफ़ देख आते आड़े-टेढ़े मोड़
मिल जाए सहज ही, रूको लूँ पहले तोड़
सोचते हैं ऐसा हम, पर होता कहाँ है
ज़िंदगी मीठी कभी नमकीन, है यही होड़
बन पारस, छूकर लोहे को बनाओ कंचन
करो सृजन आभूषण का, हैं हीरे लो जोड़।
-राज सरगम
Life Motivational Poems In Hindi | तुमको क्या चाहिए
चले चला हूँ, मुझमें क़याम नहीं
उतारता हूँ नगमे तेरे नक़्श पर
संगीत गुम, समक्ष पयाम नहीं
मुझसे तुमको क्या चाहिए ज़िंदगी
हूँ पत्थर राह का, मुझमें सौंदर्य नहीं
लौट जाएगी तू होकर शून्य, ऐ बंदगी!
-राज सरगम
क़याम- ठहराव, पयाम- संदेश
Life Kavita In Hindi | एहसान कर
ज़िंदगी एहसान कर, मुझे अपना मानकर
क्यों सिकोड़े भौंहें, न बैठ धड़कन तान कर
देखकर ये सब बैठ जाता है कलेजा मेरा
हो जाती हैं खामियां, नहीं करता जानकर
खिला हूँ तेरी गोद में, नहीं तू अनभिज्ञ
न रख फैसले कड़े, अपने अंदर ठान कर
होती है लरज़िश फ़ना, चूमे जो ये माथा तू
करती होगी तू भी ये सब मुझे पहचान कर
है रहना मुझे बनकर गौहर तेरी माला में
देकर सुई-धागा, गुँथना मेरा आसान कर।
-राज सरगम
Best Zindagi Par Kavita | स्थिर रहो
ग्रीष्म के दिन, शरद भरी रातें
एक चरण उठेगा, दूसरा धर लेगा
चलती रहेंगी निरंतर इनकी बातें
ऋतुएं ऋतु से रहेंगी बतियाती
करो प्रबल तुम अपनी श्रुति
कभी भैरव कभी मल्हार हैं गाती
हटा दो अवगुंठन हल्के से
ना लगने पाए भनक वायु को
हैं अंतर्निहित सुनहरे वर्ण झलके
रहो आलिंगन में परिस्थितियों के
करे कौन विदीर्ण ठौर तुम्हारा
नहीं रहोगे परिचर तिथियों के
स्थिर रहो जीवन इक गान है
हो जाओ संगीत तुम साहस से
आनंद हर क्षण, यही पुराण है।
-राज सरगम
Life Poems in Hindi | कठपुतली
हूँ कठपुतली मैं वक़्त की
नक्श पे इसके नाचना होगा
कहें क्या लहू चलाती नब्ज़ को
देख मौका देती है धोखा
हूँ विद्यमान लम्हों की गोद में
मूँद के सोच यही सोचा
कहा अगले ही पल साँसों ने
कहाँ जाविदा सब कुछ होता
डाल दो अक्ल के झोले में
हमने तुम्हें लाख दफ़ा टोका।
-राज सरगम
जीवन-धारा
दरक रही है पहाड़ी, घायल होने वाली मूरत है
होगी चोटिल, बसती तराई में भली सूरत है
बिखरेंगे घाटी के सीने पर टुकड़े पत्थर के
न आई समझ चालबाज़ी इसकी, लगे धूर्त है
जाग जा ओ प्रहरी ज़मीनी राजघराने के
यही तो समर्पण का सुंदरतम मुहूर्त है
आ जाए किसी काम ये बेनाम जीवन-धारा
समां दहलीज़ से गुज़रे तो फिर क्या ज़रूरत है!
-राज सरगम
मानव जीवन पर कविता | संयम
मैं बारिश मॉंग रहा हूॅं
कहीं बाढ़ होगी
उसे राहत चाहिए
ऐसे में मुझे ठहरना होगा
मैं धूप मॉंग रहा हूॅं
कहीं प्रचंड गर्मी होगी
उसे घनी छॉंव चाहिए
ऐसे में मुझे ठहरना होगा
मैं शाम मॉंग रहा हूॅं
कहीं यादें काटती होंगी
उसे दिन की लम्बाई चाहिए
ऐसे में मुझे ठहरना होगा
हर चीज़ के दो पहलू
ज़िन्दगी दर्शाती चलेगी
ज़रा संयम बरतना होगा।
-राज सरगम
Images For Zindagi Par Kavita | धर्म-कर्म
करके रहेगा, जैसी उसकी मर्ज़ी
लेगा माप, वही जीवन का दर्ज़ी
गर हो कपड़ा कम धर्म-कर्म का
आएगी मुश्किलात सीने में वर्दी
ले आए सहर विचार अच्छे-अच्छे
देनी है सबको इन्सानियत की सर्दी
है बोलबाला हर-सू बेताबियों का
लगे, मानवता ने आह खुशी की भर दी।
-राज सरगम
छोटी सी जिंदगी पर कविता | जीवन है, आवश्यकताएँ नहीं
जीवन है, आवश्यकताएँ नहीं
इतनी सहज इसकी अदाएँ नहीं
क्यों चिल्लाता है खामखां बंदे
हुई ख़ाक बस्ती उठी सदाएँ नहीं
गया पक आम मिठास गुमगश्ता
चली अब के मीठी हवाएँ नहीं
हुए सिमट तीन कोने मकान के
बुलंद मकीन की दुआएँ नहीं
उगते नहीं मोती अब सीपी में
भगवन् क्यों डालते शुआएँ नहीं
ढह गई मंज़िल झुग्गियों की
हो गए पौधे जिनमें लताएँ नहीं
मिले बिछोह तन्हाईयों को
घूमें यतीम, अपनी सभाएँ नहीं
तीली घोंसले की तुम ही
जाओ कान्हा दाएँ-बाएँ नहीं।
-राज सरगम
Short Poem In Hindi On Life | दिलदार है ज़िन्दगी
दुखों का पहाड़ है ज़िन्दगी
सुखों की भरमार है ज़िन्दगी
रेत में सुई ढूंढने की जद्दोजहद
इतनी ही लगातार है ज़िन्दगी
मीठा गन्ना, कड़वा नीम भीतर?
रहस्यों का अंबार है ज़िन्दगी
बनाए रखो संबंध जिज्ञासावश
हम्म! काफी दिलदार है ज़िन्दगी।
-राज सरगम
उखड़ा रंग
है उखड़ा रंग मेरे छोटे से कमरे का
आशियाँ तितली कभी भँवरे का
पर लिपटें ना बे-रंग जज़्बात इसमें
करोगे महसूस तो मिलेगी कई किस्में
बेशक रहता आया मैं इसमें अकेला
पर करे बसर संग ख़ुशियों का मेला
जाले मकड़ी ने बना रखे हैं खूब यहाँ
केवल मेरा नहीं, ये उनका भी है जहाँ
नहीं करतीं कभी शिकायत ये दीवारें
पाती हैं उड़ते रंगों में भी खुद में बहारें
हो जाए मन जो कभी बेकरार बदगुमां
सुनाते हैं संगीत कीट-पतंगे खुशनुमा
क्या लेना इन चकाचौंध भरे रंगों से
जो मिलते हैं उठकर दिल के दंगों से
बढ़िया रंगों की मुफ़लिसी* में जीता कमरा
कहाँ इजाज़त महल में, भटके अंदर भौंरा।
-राज सरगम
मुफ़लिसी- ग़रीबी
Khoobsurat Zindagi Par Kavita | खुलासा
ज़िन्दगी ने आज किया है खुलासा
हँस लो, छूटेगी निराशा जेल से आशा
निकलो ढकोसलों की कंदरा के पार
ढोंग है सब अपना होने का दिलासा
संविधान है जग का छोटे-छोटे मुद्दे
दिखाना बनाकर विकराल तमाशा।
-राज सरगम
Zindagi Par Kavita In Hindi | खुदा से भी ऊपरवाले
कोयला खदान में कर्म करने वालों के हाथ काले होते हैं
उगाए किसान अन्न से जीवन, अन्न के लिए उसके लाले होते हैं
करे सराबोर जो मालिक हमें हरेक वस्तु के दान से
कहाँ कम यहाँ उसको बहिष्कृत करने वाले होते हैं
बुझाए पिपासा जो सरिता चिलचिलाती उमस में
बिना विचार हम उसी में पहाड़ गंदगी का डाले होते हैं
बना डाला पुनः गृह को मकान महलों की चाह ने
स्वप्न राजसी ठाठ-बाठ के हमारे बेहद निराले होते हैं
है करती क्रंदन ये धरा, होती प्रतीत असहाय श्रुति है
बह रहे हम अपने ही वेग में आधुनिकता के नाले होते हैं
माँ झेल के जिसने लक्ष पीड़ा दिया बरगद हमें सुखों का
कर अनदेखा उसे गैरों को हिय नयनों में संभाले होते हैं
खिलाये दो निवाले माहुर पिलाये दो घूँट खुश्की के
सत्य के इस इल्म की दीद पे भी वो दिलवाले होते हैं
सही मायनों में हो गयी लत आडंबर की आँखों को हमारी
है यही वजह आए दिन सर्वत्र आशियानों में जाले होते हैं
दायरे से परे हैं ये लोग, महारत जिनकी सौगात में दर्द
क्या मालूम इन्हें, उठाएं छरछराहट उगे जो छाले होते हैं
है फटता कलेजा, आता नज़र तार-तार, आस ज़ार-ज़ार
न उतरे गले से, बने अश्क बूँदों से जो निवाले होते हैं
भर दो दो बूँदें अंजलि में आपसी सौहार्द के मल्हार की
सबके हृदय कोमल मनुष्यता का एक छोर पाले होते हैं
झर जाए टेसू किसी का, लो छू लपक कर भावनाओं से
कौन जाने, कब किसे चुभन मिले, ये समय के भाले होते हैं
है जो मुठ्टी की पकड़ में, कर दो मुक्त पोर की ओर
जीवन सार कहेगा, ऐसे बन्दे खुदा से ऊपरवाले होते हैं।
-राज सरगम
हामी
ज़िन्दगी तू चिनाब मैं हूॅं साहिल
कर निर्णय हस्ती मेरी है कायल?
भर ना हामी छाती में भींचने की
उठे हैं टखने, ना हो विमुख पायल
करूॅं गपशप तेरी बातूनी छवि से
बता ना, ज़हीन हूॅं या हूॅं जाहिल।
-राज सरगम
समाधान का पाठ
कहाँ लुप्त हो गई अहिंसा
चहुंओर हिंसा का बोलबाला
जिसकी लाठी, उसकी भैंस
छिन रहा कमज़ोर से निवाला
कहने को सब परिवार के हैं
पर लूटें बन शैतानों की खाला
दिलों से सबके चैन उठ चुका है
करूं कत्ल बेचैनी का, दे भाला
हसरत सुदृढ़ संयमी सहेज की
दहेज में काटता कम्बल दुशाला
प्यार, तकरार, हमदर्दियॉं हज़ार
क्रोध, मक्कारी का तोड़ना जाला
समाधान का पाठ पढ़ा ऐ ज़िन्दगी
जाना इस दौर में तेरी पाठशाला।
-राज सरगम
Latest Zindagi Par Kavita In Urdu | सवाल ज़िंदगी से
जी कहे कर लो सवाल ज़िंदगी से
क्या बिगाड़ा जो मिला गई दरिंदगी से
टुकड़ा साँस का रहा डूबा शिद्दत में
क्यों बेगाना किया खुशबू-ए-बंदगी से
कब देखा मैंने उस खुदा की सूरत को
अनदेखी प्रीत लागी उसकी सादगी से
दिखते रहे नश्तर किसी फूल के जैसे
ना ले सकी नाप बालिश्त संजीदगी से
ऐ ज़ीस्त* क्यों मुख मुझसे यों बिचकाए
क्यों पाला पड़ता जाए मेरा बेहूदगी से
बता कोई लम्हा जो की तेरी अवहेलना
साये तेरे सदैव जिया बड़ी पेचीदगी से।
-राज सरगम
ज़ीस्त- जीवन
Emotional Poems on life | चलती का नाम गाड़ी
ना करो तनहाई के गुज़ारे की फ़ज़ीहत
जीवन है, चलती का नाम गाड़ी इसकी कहावत
रहना है ख़ुश तो करो गाढ़ा खून पतला
उम्मीदों के थक्के न जमें, करो तरबियत
मेले में यारी बलिहारी, कौन सोग* में
स्वार्थ निस्वार्थ के अधर में झूले नीयत
खुल कर रोओगे सरे-आम प्रहार होंगे
रहती है पिसकर उचक्कों में मासूमियत
चले ग़लत होने के बाद ग़लती का पता
फिर क्या! वासी प्रसारण के बाद क़ैफ़ियत*
ना हो सका ज़िन्दगी का वर्णन ज़िन्दगी भर
डूबी जाए इस गड्ढे में बड़ी-बड़ी शख़्सियत।
सोग- शोक, क़ैफ़ियत-समाचार
-राज सरगम
हाड़ का पिंजर
नफ़रतों की चील मॉंस नोचे
हाड़ का पिंजर लावारिस छोड़े
बुलबुल मधु की बुआई करे
बरसाए क्यारी नीम के कोड़े
जुदा ज़िन्दगी की सच्चाईयॉं बंदे
सुविधा के अनुसार राहें मोड़े।
-राज सरगम
नदिया के छोर
जीवन वास्तविकता नदिया के छोर
सुख एक कोने पे दुख दूसरी ओर
है स्वभाविक इनसे दो-चार होना
भागता है डर के डरपोक या चोर
लड़ो डटकर पाओगे कुछ ना कुछ
हो अवतरित रैन के बाद सुनहरी भोर।
-राज सरगम
True Lines About Zindagi Par Kavita | फ़क़ीरी की अमीरी
ज़िन्दगी की हर झंकार मंगलकारी तराना है
उसके लिए जो इसकी तालीम में परवाना है
आगमन किसी का गाड़ियों से लदी सड़क सा
कभी लबालब, कभी ख़ालीपन मनमाना है
चल पोटली में फ़क़ीरी की अमीरी भर लेते हैं
हॉं वहॉं का खर्चा पानी, बाकी सूने हाथ जाना है।
-राज सरगम
I am amazed by reading these awesome poems. Keep writing
Many thanks