दोस्तों अगर आप ऐसी Sad Poetry Hindi की तलाश में हैं जिनमें आप खुद को पाऍं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आकर रुके हैं। इस संग्रह में मैंने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को अपनी कलम से शाब्दिक रूप देने का प्रयास किया है। कभी-कभी अच्छे पल हमारे हाथ से फिसल कर दूर खड़े हो जाते हैं। ऐसे में एक ऐसा दर्द उठने लगता है,जिसकी दवा किसी डॉक्टर के पास नहीं होती। फिर अंत में हमारी तलाश कविता या शायरी के पास आकर रुक जाती है।
इस संग्रह में आप सार्थक तरीके से सुकून का रसास्वादन कर पाऍंगे। सही मायनों में इन कविताओं की एक-एक पॅंक्ति आपके भीतर चल रहे उतार-चढ़ाव को सुव्यवस्थित करने में मददगार साबित होगी। हम आपकी सुविधा के लिए इस सूची को समय-समय पर बढ़ाते रहेंगे ताकि आप शब्दों की इस अंतहीन यात्रा का भरपूर आनंद उठा सकें। आपके सहयोग से इस परिवार को विशाल बनाने की अपेक्षा है। आप हमारा साथ देंगे ना?
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In this collection, you will be able to relish relaxation in a meaningful way. In true sense, each and every line of these poems will prove to be helpful in streamlining the ups and downs going on within you. We will keep adding to this list from time to time for your convenience so that you can enjoy this endless journey of words to the fullest. Your cooperation is expected to make this family huge. Will you support us?
Alone Sad Poetry Hindi | दिल की बातें कौन सुने?
छूओ जितना, दूर उतने एहसास भागेंगे
सो लो सच्चाई संग, झूठ संग जागेंगे
चलो पकड़ पल्लू को मज़बूती से
होगा सामना टुकड़ों की अनुभूति से
करे तार-तार हवा बने बनाए ढॉंचे
खाती फिरे पतंग ठोकरें बिना मॉंझे
मिलें ना पैबंद, गरूर दर्ज़ी में दोगुने
कैसे बताएँ, दिल की बातें कौन सुने?
-राज सरगम
Chhuo jitna door utne ehsaas bhagenge
So lo sachchai sang jhuth sang jagenge
Chalo pakad pallu ko mazbooti se
Hoga samna tukdon ki anubhuti se
Kare taar-taar hawa bane banaye dhaanche
Khaati fire patang thokarein bina maanjhe
Milte nhi paiband guroor darzi ke dogune
Kaise batayein, dil ki baatein kaun sune?
Best Poetry In Hindi For Girlfriend | कुछ ऐसा हुआ कि…
उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि
दो पपीहे एक-दूजे पे फ़िदा हुए
कर गयी प्रहार ग़लतफ़हमी
बनकर तेज़ धार इस बीच
कट गए पर मिलन के और
होकर लहुलुहान फैसले मर गए।
-राज सरगम
Us din kuch aisa huwa kii
Do papihe ek-dooje pe fida hue
Kar gayi prahaar galatfehmi
Bankar tez dhaar is bich
Kat gaye par milan ke aur
Hokar lahuluhaan faisle mar gaye.
Poem On Beauty In Hindi | शिल्पकार
छोड़ गए वो हमें मान के काले
है खूबसूरती दासी उनकी उन्हें लगा
हम काले हैं पर दिल सम्भाले हैं
सीखा नहीं देना किसी को दगा
जानते हैं इस तथ्य की गहराई को
दौड़ में सुंदरता की नहीं ले सकते हिस्सा
आंकते हैं कम स्वयं को इस मामले में
चंदन सौन्दर्य का नहीं हमपे है घिसा
नहीं रत्ती शिकायत उस चित्रकार से
बनाया इन्सान, कहाँ कम ये उपकार है
वो निगाह अपनी डाल दें या फेर दें
नहीं सरोकार, वही शिल्पकार हमारा प्यार है।
-राज सरगम
Chhod gaye woh humein maan kaale
Hai khubsurti daasi unki unhein laga
Hum kaale hain par dil sambhaale hain
Sikha nhi kabhi dena kisi ko daga
Jante hain is tathy ki gehraai ko
Daud mein sunderta ki nhi le sakte hissa
Aankte hain kum swaym ko is maamle mein
Chandan saundrya ka nhi humpe hai ghisa
Nhi ratti shikaayat us chitrkaar se
Banaya insaan kahan kum ye upkaar hai
Woh nigaah apni daal dein ya fer dein
Nhi sarokaar wohi Shilpkaar humara pyaar hai.
प्यार की दर्द भरी कविता | घुटनों के बल पे
बैठा हूँ घुटनों के बल पे
है शामत आई दिल पे
थाम हाथ में बट्टा वक्त
लगा पीसने मुझे सिल पे
माँगूं जब जवाब इसका
तो टाल दे बात कल पे।
-राज सरगम
Baitha hoon ghutno ke bal pe
Hai shaamat aayi dil pe
Thaam haath mein batta waqt
Laga pisne mujhe siil pe
Maangu jab jawaab iska
To taal de baat kal pe.
Dukh Bhari Kavita | चोट रेशमी
चोट रेशमी धागे की है, कैसे बनाऊॅं ओढ़नी
इश्क उसी से, न सीखा कभी लागी तोड़नी
वो लम्हे दरम्याँ के, थे कितने मुलायम
काश रहते उम्र भर ख्यालों में कायम
महल चाहतों के बनें अक्सर सागर किनारे
उठे मौज और बहाए साथ अपने ईंट-गारे
चढ़ीं सहारे जिसके धड़कनें, आए याद ज़ीना
था वही अपने समंदर का खेवैया, सफ़ीना
क्यों लग जाती है समय को समय की नज़र
तोड़ता है कमर खुद का सींचा हुआ शजर*
चीखे-पुकारे कण-कण, तुमसे मिलना था
शामिल जिन लम्हों में तुम थे प्यार वो था !
-राज सरगम
शजर: वृक्ष
Chot reshami dhaage ki hai, kaise banaun odhni
Ishq usi se, na sikha kabhi laagi todni
Woh lamhe damyaan ke, the kitne mulayam
Kaash rehte umr bhar khayalon mein kayam
Mehal chahaton ke banein aksar sagar kinare
Uthe mauj aur bahaye saath apne int-gaare
Chadhi sahare jiske dhadkanein, kahan woh zeena
Tha wohi apne samandar ka khewaiya safeena
Kyon lag jati hai samay ko samay ki nazar
Todta hai kamar khud ka sincha huwa shajar
Chikhe-pukare kan-kan, tumse milna tha
Shamil jin lamhon mein tum the pyaar woh tha.
Sad Poetry Hindi Love | ख़्वाब ये कैसा
ख़्वाब ये कैसा बुने हैं हथकरघे से
पढ़ते रहें हम क़सीदे तुम तोड़ते रहोगे
जितना लूटना है लूट लो वफ़ाओं को
किसी दिन थक हार के बैठ जाओगे
हो जाएँगे हम बिन सूचना सदस्य मौत के
पर गै़रतमंदों में तुम बे-ग़ैरत कहलाओगे।
-राज सरगम
Khwaab ye kaisa bune hain hathkarghe se
Padhte rahein hum qaseede tum todte rahoge
Jitna lootna hai loot lo wafaon ko
Kisi din thak haar ke baith jaoge
Ho jayenge hum bin suchna sadasy maut ke
Par gairatmandon mein tum be-gairat kehlaoge.
Short Sad Poetry Hindi | | देख ले जी भर के
देख ले जी भर के, बाद में आंख ना तरसे
ले उड़ेगी सहर पल का मेहमान तेरे घर से
न ले जाऊॅंगा साथ चुल्लू भर, वादा गहराई से
हूॅं फ़कीर, मनवाऊॅं प्यार-वफ़ा की सुनवाई से
आज न सही, होगी कल नमी, मिलेंगे न निशान
हो ख़ाक सोया रहूॅंगा सुनसान न टूटेगा ध्यान
रख सर उरोज पर रो ले हमदम जी भर के
क्या नफ़ा बाद में रूप प्रेम जोगन का धर के
कौन सिवा तेरे, करे अनुभव रोम-रोम यतीम
करूॅं निवेदन, दे चुटकी लगाव, आए यकीन
पीए हैं ऑंसू बढ़कर प्यास से जा तराई में
पाऊॅं क़र्ज़ में डूबा, ऐसा क्या था साई* में
नहीं ख्वाहिश तेरी मेरा होना, दिलासे में हर्ज़ क्या
रख नमक ज़ख़्म पर, हो शायद कबूल तेरी दुआ।
-राज सरगम
साई- बयाना, पेशगी धन
Dekh le jee bhar ke baad mein nazar na tarse
Le udegi sahar pal ke mehmaan ko tere ghar se
Na le jaunga saath chullu bhar vada gehraai se
Hoon faqeer manvaun pyaar-wafa ki sunvaai se
Aaj na sahi aaegi kal nami, tab milenge nhi nishan
Ho khaak soya rahunga sunsaan, na tootega dhyaan
Rakh sar uroj par ro le humdum jee bhar ke
Kya nafa baad mein roop prem jogan ka dhar ke
Kaun siwa tere, kare anubhav rom-rom yateem
Karu nivedan de chutki lagaav aaye yakeen
Piye hain aansu badhkar pyaas se ja taraai mein
Paun karz mein dooba, aisa kya tha saai mein
Nhi khwahish teri mera hona, dilaase me harz kya
Rakh namak zakhm par, ho shayad qabool teri duaa.
हिंदी साहित्य की कविताएं | पत्थर कर दिया
ज़माने ने मुझको पत्थर कर दिया
खुद में गढ़ जाऊँ, नश्तर कर दिया
बढ़ गईं संवेदनाएं खात्मे की तरफ
उपजाऊ भूमि को बंजर कर दिया
नोच-खसोट रहा है ग़म-ए-हिज्र*
करूँ किससे ज़िक्र, ऐ मेरी फ़िक्र
हूँ खड़ा मैं साहिल पे अलहदा
उठाए उदण्ड लहर ख़ौफनाक सदा
उतरे कोई फरिश्ता, मात्र इतनी दुआ
ना खेला जाए अब सॉंसों का जुआ।
-राज सरगम
हिज्र: वियोग, जुदाई, विछोह
Zamane ne mujhko pathar kar diya
Khud me gadh jaun, nashtar kar diya
Badh gayi samvednaen khatme ki taraf
Upjaau bhoomi ko banjar kar diya
Noch-khasot raha hai gam-e-hijr
Karu kisse zikr ae meri fikr
Hoon khada main saahil pe alhda
Udand lehar uthaye khaufnaak sada
Utre koi farishta maatr itni duaa
Na khela jaaye ab saanson ka juaa.
Sad Poetry Hindi 2 Line | मैंने आँसू छिपा लिए थे
मैंने आँसू छिपा लिए थे तन्हा आँख के
जबकि थे पले कोख में समंदर सात से
है आमरण अनशन चप्पे-चप्पे पे मेरे
इस उम्मीद में कि छॅंटेंगे जल्द ॲंधेरे
सोचता हूँ करूँ एक-आध शिकायत
परन्तु होगा कौन बरसाए इनायत
ये सोच के रहस्य अश्कों का बेहतर
तड़पे दिल, हों हालात साँस के बदतर
रोता हूॅं सिसक-सिसक दुबक कर
चले सिलसिला नित ना के रुक के
कम्पन सवाली रोके होने से मुकम्मल
धकेले सदा ऊॅंची पहाड़ी से, न रहे संभल
मिले कहीं कोई जवाब, तो बतला देना
है अधूरी ग़ज़ल, ज़हीन मतला देना।
-राज सरगम
Maine aansu chipa liye the tanha aankh ke
Jabki the pale kokh mein samamdar saat se
Hai aamaran anshan chappe-chappne pe mere
Is ummid mein ki chhantenge jald andhere
Sochta hoon karu ek-aadh shikayat
Parantu hoga kaun barasaye inaayat
Ye soch ke rahasya ashkon ka behtar
Tadpe dil ho halat saans ke badtar
Rota hoon sisak-sisak chhup chhup ke
Chale silsila lagataar na ke ruk ke
Kampan sawali roke hone se mukammal
Dhakele oonchi pahadi se, rahe na sambhal
Mile kahin koi jawaab, toh batla dena
Hai adhuri ghazal zaheen matla dena.
Hindi Kavita On Life | तू तो मेरे साथ रह ले
तेरी कांख में ग़म गिराने हैं
मुझे तुझमें आंसू छुपाने हैं
अंधेरे तू तो मेरे साथ रह ले
उजाला अकेले की खिल्ली उड़ाएगा
लेने मगरूर को हिसाब पुराने हैं
भले ही दो टका भर चुकाने हैं
अंधेरे तू तो मेरे साथ रह ले
तेरी आगोश में सरगोशियॉं बिखरेंगी
खामोशियों में उठने ताने हैं
रह रहकर कोड़े बरसाने हैं
अंधेरे तू तो मेरे साथ रह ले।
-राज सरगम
Teri kaankh mein gam girane hain
Mujhe tujh me aansu chhupane hain
Andhere tu toh mere saath reh le
Ujala akele ki khilli udaayega
Lene magroor ko hisaab purane hain
Bhale hi do taka bhar chukane hain
Andhere tu toh mere saath reh le
Teri aagosh mein sargoshiyaan bikharengi
Khamoshiyon mein uthne taane hain
Reh rehkar kode barsaane hain
Andhere tu toh mere saath reh le.
Adhura Pyar Poetry | घर सूना हो गया
लग गई दीमक, हो गईं खोखली दीवारें
आमादा छत गिरने पे, कैसे इन्हें सँवारें
चला गया यहाँ से करके एक-एक हरेक
थे पाए कभी इरादे जिनके अतयन्त नेक
हर दरीचा है बन गया गहरी खाई सा
डर गिरने का, दिखे धोखे में भलाई सा
लगा किवाड़ हल्के झौंके से चरमराने
हैं ढूँढे इसने सताने के अनोखे बहाने
कहना तो नहीं चाहिए, पर मजबूर हूँ
घर सूना हो गया, हुआ चारदीवारी से दूर हूँ
बसता था इसमें ख्वाबों का तरूवर मेरा
छाँव जिसकी खिलता था मुरझाया चेहरा
भर दूँगा जान इसमें, रहेगा भरसक प्रयास
मिलेंगे गले दर-ओ-दीवार, है यही विश्वास।
-राज सरगम
Lag gayi deemak ho gayi khokhli deewarein
Aamada chhat girne pe, kaise inhein samvaarein
Chala gaya yahan se karke ek-ek harek
The paye kabhi iraade jinke atyant nek
Har daricha hai ban gaya gehri khaai sa
Dar girne ka dikhe dhokhe mein bhalai sa
Laga kivaad halke jhonke se charmarane
Hain dhundhe isne satane ke anokhe bahane
Kehna toh nhi chahiye par majboor hoon
Ghar soona ho gaya huwa chardiwari se door hoon
Basta tha isme khwabon ka taruvar mera
Chhaon jiski khilta tha murjhaya chehra
Bhar dunga jaan isme rahega bharsak pryaas
Milenge gale dar-o-deewar hai yehi vishwas.
Bewafa Poetry Hindi | फ़िज़ा-ए-गुलाब
फ़िज़ा-ए-गुलाब में मौसम काले
होने लगे कैसे आँखों में जाले
हमें टूटने की इजाज़त भी नहीं
आ जाएँगे फ़ायदा उठाने वाले
लौटे पंछी हो नाराज़ सुबह से
पाँव आँगन के उठने लगे छाले
पसरे हैं उचक्के इश्क गलियों में
इसलिए डाले सबने दिल पे ताले
मिन्नत या मन्नत जो मर्ज़ी समझो
देना न देना अब सब आपके हवाले।
-राज सरगम
Fiza-e-gulaab mein mausam kaale
Hone lage kaise aankhon me jaale
Humein tutne ki ijazat bhi nhi
Aa jayenge fayda uthane wale
Laute panchhi ho naraz subah se
Paon aangan ke uthne lage chhaale
Pasre hain uchakke ishq galiyon mein
Isliye daale sabne dil pe taale
Minnat ya mannat jo marzi samjho
Dena na dena ab sab aapke hawale.
Urdu Poetry In Hindi Text On Love | कराहती शाम
ये कराहती शाम के गाल में लाली
लगे दिन ने मुफ्त में एलर्जी दे डाली
हो गईं दुआएँ स्वाहा धीमी आंच पर
हुई क्या खता छिटकी ईद-दीवाली
है चाहा जिसे शिद्दत से सितारों ने
करेंगे मनुहार हम उससे दे बहाली
तागा वफ़ा का होगा उसमें भी शेष
देंगे जोड़ उसमें मोहब्बत की बाली।
-राज सरगम
Ye karahti shaam ke gaal mein laali
Lage din ne muft mein allergy de daali
Ho gayi duaaen swaha dhimi aanch par
Huyi kya khata chhitki ied-diwali
Hai chaha jise shiddat se sitaron ne
Karenge hum manuhaar usse de bahali
Taaga wafa ka hoga usme bhi shesh
Denge jod usme mohabbat ki baali.
Sad Poetry Hindi For Girlfriend | ज़रा सी बात
उछाला मैंने सिक्का आई बात पक्ष में तेरे
रहेंगे ख़ुदा तेरे, होंगे टुकड़े बन्दगी के मेरे
रहना होगा संग ता-ऊम्र, ज़रा सी बात थी
गया कुचलकर तू अरमां, बिखर गए बसेरे
डाल कर मिट्टी लफ़्ज़ पर किया दफ़न तूने
मिट आए निशां, थे कोरे कागज़ पर उकेरे
ये तोहफ़ा बदसलूकी का करूँ कैसे स्वीकार
लगाए ख़ुशी टूटे ख्वाबों के अग्निकुण्ड में फेरे
सब जानते हैं, है जग ज़ाहिर सदाक़त मेरी
आज न सही, आ कल उठायेंगे मुझे भी सवेरे
होगा कोई तो शुभचिन्तक मेरा इस जहाँ में
करके ज़ब्त वफ़ाएँ तुझसे, तोड़ेगा गुरूर घेरे
पर होगा इनकार मेरा वफ़ा को वापस लेने से
अक़ीदत ख़ुदा में शय नहीं, जो तोड़े-बनाए डेरे।
-राज सरगम
Uchala maine sikka aai baat paksh mein tere
Rahenge khuda tere honge tukde bandgi ke mere
Rehna hoga sang ta-umr zara si baat thi
Gaya kuchalkar tu arma bikhar gaye basere
Daal kar mitti lafz par kiya dafan tune
Mit aaye nishan, the kore kagaz par ukere
Ye tohfa badsaluki ka karun kaise sweekar
Lagaye khushi toote khwaon ke agnikund mein fere
Sab jante hain hai jag zahir sadaqat meri
Aaj na sahi, aa kal uthayenge mujhe bhi sawere
Hoga koi toh shubhchintak mera is jahan mein
Karke zabt wafayein tujhse todega guroor ke ghere
Par hoga inkar mera wafa ko wapas lene se
Aqeedat khuda mein shey nhi, jo todein banayein dere.
Best Sad Poetry Hindi Attitude| कहते हैं सब
कभी कभार अनकही दो-चार कहता हूँ
न सोचना गलबहियों की आस में रहता हूँ
अरमान काँटों से खुशबू का फ़िज़ूल है
कहाँ गुलाब को ऐसी ख़ता क़बूल है
चस्पाँ गई स्याही मरासिम की वर्क पे
सच है साबुत बचते कहाँ हैं दोस्ताने शर्त पे
कहते हैं सब तुम दोनों की दोस्ती कहाँ गई
हँस के बतियाता हूँ जहाँ जाना था वहाँ गई।
-राज सरगम
Kabhi-kabhar ankahi do chaar kehta hoon
Na sochna galbahion ki aas mein rehta hoon
Armaan kaanton se khushboo ka fizool hai
Kahan gulaab ko aisi khata qabool hai
Chaspan gayi syahi marasim ki vark pe
Such hai bachte kahan hain dostane shart pe
Kehte hain sab tum dono ki dosti kahan gayi
Hans ke batiyata hoon jahan jana tha wahan gayi.
Emotional Poetry In Hindi Text | किन आँखों से रोएँ
किन आँखों से रोएँ, आँखें पत्थराई हैं
थीं मोम, क्या सबब पिघलना बिसराई हैं
था इनका भी फैला हरा-भरा मैदान
महकती वनस्पियाँ अब पराई हैं
था लगता इनमें हुजूम अपनों का
पर अब के बरस हुई यहाँ जुदाई हैं
थीं सराबोर राहें गुलाब की पंखुड़ियों से
कैसी चुभन, लगे नाता काँटों से बनाई हैं
इन आँखों में मेरी था घर पोखर का
मेहनतें मगर रंग रूखेपन की लाई हैं
पलता था यहाँ हसीन महकता कमल
चला राज़ ख़िज़ाओं का, बिन बुलावे आई हैं
लगाएँ गुहार फ़लक पे आसीन मालिक से
श्रद्धा में उसकी हदें बेहद तक समाई हैं।
-राज सरगम
Kin ankhon se roen,aankhein pathraai hain
Thin mom,kya sabab pighalna bisraai hain
Tha inka bhi faila hara-bhara maidaan
Mehkti vanaspatiyan ab parayi hain
Tha lagta inmein hujum apno ka
Par ab ke baras hui yahan judaai hain
Thin saraabor raahein gulaab ki pankhudiyon se
Kaisi chubhn, lage nata kanton se bnayi hain
In aankhon mein meri, tha ghar pokhar ka
Mehantein magar rang rukhe-sukhe ki laayi hain
Khilta tha yahan hasin mehkta kamal
Chla raaz khizaon ka, bin bulaave aai hain
Lagayein guhar falak pe aasin maalik se
Shraddha mein uski behd tak samayi hain.
Very Sad Poem In Hindi | चिथड़े
कहाँ क़ैद हासिल हमारी मुट्ठी में
खुली पड़ी है लम्बे अरसे से
रही चाहत इसकी बनूँ लाख की
रह गई धरी की धरी उम्मीद मेयार
क्या खूब अकेलेपन ने नोच लिया
हो गए चिथड़े मासूम जिस्म के
थे समाए हर कोने प्राण रिश्तों के
हो शून्य तरसें जुड़ने को बारम्बार।
-राज सरगम
Kahan qaid pana humari mutthi mein
Khuli padi hai lambe arse se
Rahi chahat iski banu laakh ki
Reh gayi dhari ki dhari ummid meaar
Kya khoob akelepan ne noch liya
Ho gaye chhithde masoom jism ke
The samaye har kone jiske praan rishton ke
Ho shuny tarsein judne ko barambaar.
सुंदर कविता हिंदी में | मज़ाक किया जाए
चलो आज मज़ाक किया जाए
दो दिनों का सनम हुआ जाए
छोटी सही सांत्वना तो मिलेगी
अपने बीच खेला जुआ जाए
सूखा जिस्म करे नमी की मिन्नतें
क्यों न दिलासों से नहलाया जाए
करेंगे सैर शहर की टोकरी के फल
पत्ता गॉंव-देहात में रहने दिया जाए
काम चाकू से लेना बन्द करते हैं
जीभ को कैंची से तेज़ बनाया जाए
अब तब या कब जुदा होना ही है
कैसे मिलन बदनामी से बचाया जाए!
-राज सरगम
Chalo aaj mazaak kiya jaaye
Do dino ka sanam huwa jaaye
Chhoti sahi saantvna toh milegi
Apne bich khela juwa jaaye
Sookha jism kare nami ki minnatein
Kyon na dilason se nehlaya jaaye
Karenge sair shehar ki tokri ke fal
Patta gaon-dehaat mein rehne diya jaaye
Kaam chakoo se lena band karte hain
Jibh ko kainchi se tez banaya jaaye
Ab tab ya kab juda hona hi hai
Kaise milan badnami se bachaya jaaye.
Emotional Hindi Kavita | बरक़त
सुना है बेवफ़ाई में उनकी बरक़त हुई है
रूख पुराना दीवानगी से नफ़रत हुई है
बजाते हैं ढोल रिश्तों का गली मोहल्ले
मानें खुद को ख़ुदा हूबहू हरक़त हुई है
है डूबा काफ़िला उनकी जी-हज़ूरी में
ऐसे में तौहीन मेरी शत प्रतिशत हुई है
गये हैं लेप के ताना जग के सामने से
समाज में उनके रुतबे में बढ़त हुई है?
हूँ शरीक होश संभालते गैरों की बज़्म में
धिक्कार जीना, जीते-जीते जां मरघट हुई है
था ये मामला सिर्फ हम दो जन का
लेकिन सरेआम अदालती कसरत हुई है
ना पाना दौलत, आई खाते मुझ ग़रीब के
मुलायम हृदय की ये अंतिम हसरत हुई है।
-राज सरगम
Suna hai bewafaai mein unki barqat hui hai
Rukh purana deewangi se nafrat hui hai
Bajate hain dhol rishton ka galli mohalle
Mane khud ko khuda hubhu harqat hui hai
Hai dooba qafila unki ji hazuri mein
Aise mein tauhin meri shat pratishat hui hai
Gaye hain lep ke tana jag ke saamne se
Samaaj mein unke rutbe mein badht hui hai
Hoon sharik hosh sambhalte gairon ki bazm mein
Dhikkar jeena, jeete ji jan marghat hui hai
Tha ye mamla sirf hum do jan ka
Lekin sareaam adaalti kasrat hui hai
Na pana daulat aai khaate mujh gareeb ke
Mulayam hridya ki antim hasrat hui hai.
अकेलापन शायरी 2 Line | न मानो मुमकिन
न मानो मुमकिन, जिसे चाहो मिल जाए
भला कब होनी चंदा से चकोरी मिलवाए
सो जाता है नन्हा पौधा मौत की गोद
मजाल मेघा की समय रहते बरस जाए
रूठ जाती हैं राहतें निराशा की गिरफ़्त में
कौन भला मानस सब कुछ भूल मनाए?
-राज सरगम
Na mano mumkin jise chaho mil jaye
Bhala kab honi chanda se chakori milwaye
So jata hai nanha paudha maut ki god
Majaal megha ki samay rehte baras jaye
Rooth jati hain raahatein nirasha ki girft mein
Kaun bhala manas sab kuch bhool manaye?
Best Sad Poetry In Hindi | तुम हमारे हो ना पाए
तो क्या हुआ, तुम हमारे हो ना पाए
शिकवा नहीं, गर चैन से सो ना पाए
मिलन-बिछोह बनी साज़िशें उसकी हैं
हाथों से अपने हम इन्हें धो ना पाए
कर दी अंकित उसने नाम हमारे रूबाई
ये हर्फ़ों का भारी बोझ ढो ना पाए
जो होता है सब भले के लिए होता है
इस बात को जीवन में पिरो न पाए
उठाया साया पासबॉं* ने, ऐसा लगा
विडंबना ये न ठीक से हंस न रो पाए
आता रहा पास जो भी, सब क्षणभंगुर
काश! मिले अब जिसे मन खो ना पाए!
-राज सरगम
पासबाँ- दरबान, चौकीदार, निरीक्षक
Toh kya huaa tum humare ho na paaye
Shikwa nhi gar chain se so na paaye
Milan-bicchoh bani saazishein uski hain
Haathon se apne hum inhein dho na paaye
Kar di ankit usne naam humare rubaai
Ye harfon ka bhari bojh hum dho na paaye
Jo hota hai sab bhele ke liye hota hai
Is baat ko hum jeewan mein piro na paaye
Hataya saaya paaswan ne, aisa laga
Vidamvna ye na thik se hans na ro paaye
Aata raha paas jo bhi sab kshanbhangur
Kaash mile ab jise man kho na paaye.
रुलाने वाली कविता | उठ गया पर्दा
इस शहर का कूचा अजीबोगरीब है
नन्ही झोंपड़ी ऊंची हवेली की नींव है
लेकर अपेक्षा पहुंच गए किष्किन्धा
है बाली यहाँ, दृष्टि से परे सुग्रीव है
तरसे छेनी पोर की आकृति तराशने को
भरे ना पत्थर हामी जो चाहे होना सजीव है
भाग आईं चाहतें मृगतृष्णा की भान्ति
भटकाया बहम ने सार्थकता बेतरतीब है
हूॅं ठूॅंठ, झूठलाने लगा था इस बात को
सहसा उठ गया पर्दा, कोई न तेरा मुरीद है!
-राज सरगम
Is shehar ka koocha ajibogareeb hai
Ameeri ghaawon ki marham badnaseeb hai
Lekar apeksha chala tha, mile koi toh
Yahan Ram hai par na aaye nazar Sugriv hai
Tarse hain ungliyaan ik chitr banane ko
Banaun jiska aisa kaun yahan sajeev hai
Bhaag aayi thi chahatein mrigtrishna ki bhanti
Chhaaye badal beham ke aakash betarteeb hai
Hoon thoonth, Tutne laga tha yaqeen is baat se
Kya mila, na door rishta, na hi qareeb hai.
2 Line Sad Poetry Hindi | लगाऊँ कैसे लांछन
नीम ना हकीम, उदासी कम नहीं होती
अन्यमनस्क* मंज़र, शुष्कता नम नहीं होती
करूँ अभ्यर्थना*, भंवर में बेचैनी के घिरा हूँ
कहानी मिटी हुई, न ये न वो सिरा हूँ
रखा है दबोच अंधड़ ने, न ढूँढे और पनाह
हूँ दुबके मुजरिम सा, बताए कोई गुनाह
सोचता हूँ नाप लूँ बालिश्त से उदासी को
रूठे हथेली, लगाऊँ कैसे लांछन राशि को
ऐ उदासी, होकर नम्य कर रत्ती अनुकम्पा
होगी गुलज़ार फ़िज़ा, हुलसेगी हर ओर चम्पा।
अन्यमनस्क- अनमना, अभ्यर्थना- याचना
-राज सरगम
Neem na hakeem, udasi kam nhi hoti
Anymansk manzar, shushkta nam nhi hoti
Karu abhyarthna,bhamwar mein bechaini ke ghira hoon
Kahani miti hui,na ye na woh sira hoon
Rakha hai daboch andhad ne na dhundhe aur panaah
Hoon dubke mujrim sa, bataye koi gunaah
Sochta hoon naap lu balisht se udasi ko
Ruthe hatheli lagaun kaise laanchhan raashi ko
Ae udasi hokar namy kar ratti anukampa
Hogi gulzaar fiza, hulsegi har or champa.
Emotional Sad Poetry Hindi | आखिर पाया क्या
रिस रही थी भीत दृग की
मारा इस दौरान रौब रूमाल ने
थी लीन प्रत्येक वस्तु गुलाबी रंगत में
किंतु दिखाई पीली झाईं गाल ने
बहा ले जाना नदिया की साज़िश थी
तलाक़ जो दिया था नौका को चाल ने
दी हालात ने इतनी कठोर धमकी
कि निकाला कलेजा बाल-बाल ने
ना कलगी, ना उड़ान की दावेदारी
आखिर पाया क्या सीखा मोनाल ने?
-राज सरगम
Ris rahi thi bhit drig ki
Mara is dauraan roub rumaal ne
Thi leen pratyek vastu gulabi rangat mein
Kintu dikhaai peeli jhaain gaal ne
Baha le jana nadiya ki saazish thi
Talaaq jo diya tha nauka ko chaal ne
Di halat ne itni kathor dhamki
Ki nikala kaleja baal-baal ne
Na kalgi na udaan ki daavedaari
Aakhir paya kya sikha Monaal ne?
Sad Poem In Hindi On Life | ख़्वाबी आबशार
ना उड़ेलो ख़्वाबी आबशार*, तक़दीर का सताया हूँ
उलीच दो रत्ती इनायत*, दीवाना हीर का बनाया हूँ
मेरा क्या हूँ फ़लक* नस में, उतरूंगा हो रक्तपात
फिर ना कहना मैं जानबूझकर फैला फैलाया हूँ
बाद फुरक़त* के एहसास करना बेकार होगा
भेजेगा लानत ज़माना, लकीर से ज़बरदस्ती मिटाया हूँ।
-राज सरगम
आबशार-झरना इनायत-कृपा
फ़लक-गगन फुरक़त-जुदाई
Na udelo khwaabi aabshaar, taqdeer ka sataya hoon
Ulich do ratti inaayat, deewana Heer ka banaya hoon
Mera kya, hoon falak nas mein utarunga ho raktpaat
Fir na kehna main janbujhkar faila failaya hoon
Baad furqat ke ehsaas karna bekaar hoga
Bhejega laanat zamana, lakeer se zabardasti mitaya hoon.
मर्मस्पर्शी गाथा
फर्ज़ किया प्रारब्ध है, फिर क्यों न तू उपलब्ध है
लिख संदेश करूं उजागर इक झलक में
कहां इतना प्रभावी शब्दकोष में शब्द है
कोई द्वेष या छलावा नहीं अंतर्निहित
हो प्रकाशित सजल नेत्रों की मर्मस्पर्शी गाथा
किंतु कैसे? उधेड़बुन में कलम स्याही सहित!
-राज सरगम
Farz kiya praarbdh hai fir kyon na tu upalbdh hai
Likh sandesh karun ujaagar ik jhalak mein
Kahan itna pravabhi shabdkosh mein shabd hai
Koi dwesh ya chhalaawa nhi antrnihit
Ho prakashit sajal netron ki marmsparshi gatha
Kintu kaise? udhedbun mein kalam syaahi sahit.
Sad Poetry In Hindi Short | बिछाए शकुनि बिसात
भीगता ज़ख़्म ख्वाब है
छिपाए रहनुमा अलाव* है
चुभे पाथ पाथिक को
बिछाए शकुनि बिसात है
मौत नाक पे नथनी-सी
क्यों मर्सिया* खिताब है
हुई गुल नज़र शूल
खैरात ना सौगात है।
-राज सरगम
मर्सिया- शोक गीत, अलाव- आग का ढेर
Bhigta zakhm khwaab hai
Chhipaye rehnuma alaav hai
Chubhe paath paathik ko
Bichhaye shakuni bisaat hai
Maut naak pe natani si
Kyon mersiya khitaab hai
Hui gul nazar shool
Khairaat na saugaat hai.
Heart Touching Sad Poetry Hindi | निर्णायक फैसला
कस रस्सी से गुलाब कांटों का बोझा लाया है
सिंचाई क्या करे, ये चलन चलता आया है
हुई बंधक बुलबुल, रचा षड्यंत्र उपवन ने
बेचारी ने वज़न से अधिक धोखा खाया है
देगा कौन निर्णायक फैसला, विद्यमान कौतूहल
न्याय भाई-भतीजावाद के आधार पे बनाया है।
-राज सरगम
Kas rassi se gulaab kaanton ka bojha laya hai
Sichaai kya kare, ye chalan chalta aaya hai
Hui bandhak Bulbul, racha shadyantr upwan ne
Bechari ne wazn se adhik dhoka khaya hai
Dega kaun nirnayak faisla, vidymaan kautoohal
Nyaay bhaai-bhatijavaad ke aadhar pe banaya hai.
Emotional Poetry In Hindi Text | तुम सा बे-रहम
कहा कड़ी आवाज़ में उसने जाते हुए
कोई तुम्हें चाहे, उम्मीद कम से कम है
हो रूप-लावण्य से कोसों-मीलों दूर
तुम हो कि कर रखा एकत्र वहम है
उसपे मैंने कहा;
सहारे का स्तंभ मात्र उस कांधे खड़ा है
क्या चाहूँ गर रचयिता का करम है
ना डाले विशेष दृष्टि अपनी रचना पे
इतना थोड़ी ना वो तुम सा बे-रहम है
-राज सरगम
Kaha kadi aawaaz mein usne jaate huye
Koi tumhein chahe ummid kam se kam hai
Ho roop-lavany se koson-milon door
Tum ho ki kar rakha ekatr vaham hai
Uspe maine kaha;
Sahare ka stambh maatr us kaandhe khada hai
Kya chahu gar rachyita ka karam hai
Na daale vishesh drishti apni rachna pe
Itna thodi na woh tum sa be-raham hai.
Breakup Poem In Hindi | उठती कसक
दिखते बड़े व्यस्त हैं वो गैरों की बाँहों में
फीके पड़ते जा रहे हौले-हौले निगाहों में
बिछ गई वापसी पर कोहरे की चदरिया
कर लेंगे अनदेखा जो मिले कभी राहों में
लगाऍंगे नहीं मुॅंह धड़कन से उठती कसक
गुज़ारेंगे बचे-खुचे लम्हे सिसकती आहों में।
-राज सरगम
Dikhte bade vyast hain woh gairon ki baahon mein
Feeke padte ja rahe haule-haule nigahon mein
Bichh gayi vapsi par kohre ki chadriya
Lagayenge nhi munh dhadkan se uthati kasak
Guzarenge bache-khuche lamhe siskati aahon mein.
Akelapan Poetry In Hindi | टूटा किस्सा
बाँध लिया मुलाकात ने विदाई सामान
थी ज़िन्दगी अभी पेट से, ले ली जान
था समेटा गुलाब मैंने किताब-ए-मन में
लग गई दीमक, बोले क्या, है बेज़ुबान
था उसके तालाब में मछली मानिंद मैं
डाल जाला लिया उस बेहया ने छान
गया सिसक कुछ पल आफताब गोद में
टूटा किस्सा, दिल में बने रहना नहीं आसान।
-राज सरगम
Baandh liya mulaqaat ne vidaai ka saamaan
Thi zindagi abhi pet se, le li jaan
Tha sameta gulab maine kitaab-e-man mein
Lag gayi deemak, bole kya, hai bezubaan
Tha uske talab mein machhali maanind
Daal jala, liya us behaya ne chhaan
Gya sisak kuch pal aaftaab god mein
Toota kissa dil mein kisi ke basna nhi aasaan.
Sad Poetry Hindi On Love | मंदिर कभी मदीने में
चली घिनौनी चाल ऑंसू ने सावन महीने में
उड़ भागा दिल हवा के साथ था जो सीने में
देखे जो भी करके उपहास निकल जाता है
दिखे डर बवंडर का धड़कनों के सफ़ीने में
कैसे तय होंगे फासले जन्मों के जोगी से
सजदे जो किए हैं मंदिर कभी मदीने में।
-राज सरगम
Chali ghinauni chaal aansu ne sawan mahine mein
Ud bhaga dil hawa ke saath tha jo seene mein
Dekhe jo bhi karke uphaas nikal jata hai
Dikhe dar bawandar ka dhadkan ke safeene mein
Kaise tay honge faasle janmo ke jogi se
Sajde jo kiye hain mandir kabhi madine mein.
Very Sad Poem | इंतज़ारी
मुस्कुरा लेते हैं दिखाने को
बेतकल्लुफी क्यों रिझाने को
खुले में दम घुटने का डर है
परखते हैं ज़रा तहखाने को
हो गए आग हवाओं के तेवर
उठाएंगे अंगारे तपन बुझाने को
रही अंतरंगता फूलों से हर दौर
आए महज़ कॉंटे मय्यत उठाने को
हथियार बेकार बेज़ार शर्मसार
पैनी निगाह कटने कटाने को
छीना बचपन ज़ुल्मी मालिक ने
क्या दोष दें अब कारखाने को
नख से शिख इम्तिहानी सदा
बता, है और आज़माने को?
सौ अच्छाईयॉं बस एक बुराई
इसी की इंतज़ारी थी ज़माने को।
-राज सरगम
Muskura lete hain dikhane ko
Be-takallufi kyon rijhane ko
Khule mein dum ghutne ka dar hai
Prakhate hain zara tahkhane ko
Ho gaye aag hawaon ke tewar
Uthayenge angaare tapan bhujane ko
Rahi antrangata phoolon se har daur
Aaye mehaz kaante mayyat uthane ko
Hathyaar bekaar bezaar sharmsaar
Paini nigaah katne kataane ko
Chhina bachpan julmi maalik ne
Kya dosh dein ab karkhane ko
Nakh se shikh imtihani sada
Bata, hai aur aazmane ko?
Sau achchhaiyaan ek buraai
Isi ki intezari thi zamane ko.
Sad Poetry Hindi About Life | उम्मीदों से हारा
जुस्तजू में तेरी मैंने इन राहों को निथारा
गर्द ने इनकी बनाया मुझे नाकारा अवारा
कोई न समझ पाया मेरे मन की फ़क़ीरी
होता रहा कोमलता पे पत्थरों से गुज़ारा
देख ज़ख्मों को जलन की हद बढ़ती है
कर दे कम ख़ुदा मैं सारी उम्मीदों से हारा
मिला दे खुद से मिलन बेला से पहले
करे ना खत्म रक़ीबों का धधकता अंगारा।
-राज सरगम
Justajoo mein teri maine in raahon ko nithara
Gard ne inki banaya mujhe nakara aawara
Koi na samjh paya mere man ki faqeeri
Hota raha komalata pe pattharon se guzara
Dekh zakhmo ko jalan ki had badhti hai
Kar de kam khuda main sari ummidon se hara
Mila de khud se milan bela se pehle
Kare na khatm raqeebon ka dhadhakata angaara.
Sad Poetry Hindi Text | कसम खाई है
कुचलकर दिन की शमां को सॉंझ आई है
बज़्म में उनकी मैंने यादों की तान बजाई है
हैं दूर खड़े वो मुझसे किसी की जी-हुज़ुरी में
आहट मेरे हर्फ़ों की न उन तक पहुँच पाई है
थी पगली मैं मिलाती रही ताल में ताल को
इस उम्मीद में के हैं मुखातिब इसमें भलाई है
रह कर सामने न सुन पाए वो मुझे रत्ती भर
था शायद बहुत शोर महफिल में, ये बुराई है
रहेगी होकर रोशन फिर बुझी शम’-ए-फ़रोज़ॉं
होगी अंजुमन, होगा परवाना, कसम खाई है।
-राज सरगम
Kuchalkar din ki shama saanjh aayi hai
Bazm mein unki maine yaadon ki taan bajaai hai
Hain door khade wo mujhe kisi ki ji huzoori mein
Aaahat mere harfon ki na un tak pahunch paai hai
Thi pagli main milati rahi taal mein taal ko
Is ummid mein ki hain mukhatib isme bhalaai hai
Reh kar saamne na sun paaye wo mujhe ratti bhar
Tha shayad bahut shor mehfil mein, yehi buraai hai
Rahegi hokar roshan fir bujhi sham-e-farozaan
Hogi anjuman hoga parwana, kasam khaai hai.
Urdu Sad Poetry Hindi | अपील
चूर हूँ गिन-गिन ये दरिया की रवानी
ना हाथ कुछ, देखो वक्त की शैतानी
किया कुछ नहीं ख़िलाफत में किसी की
खड़ा कटघरे में, है मुकदमा-ए-मानहानि
रहा सोचता करेंगी वकालत हवाएँ मेरी
किया छलावा, नहीं साँस लेने में आसानी
करनी होगी अपील ऊपरी अदालत में
है उम्मीद, करेगी मुकम्मल मेरी कहानी।
-राज सरगम
Choor hoon gin-gin ye dariya ki rawani
Na haath kuch, dekho waqt ki shaitani
Kiya kuch nhi khilafat mein kisi ki
Khada katghare mein, hai mukadama-e-maanhani
Raha sochta, karengi vakaalat hawayein meri
Kiya chhalawa, nhi saans mein aasani
Karni hogi apeal oopari adaalat mein
Hai ummid, karegi mukammal meri kahani.
Deep Line Sad Poetry Hindi | खिलौने से जज़्बात
किया फ़ना उन आँसुओं ने
जो मेहमान-ए-आँख न बने
भूल जाती हैं रगें लहू बाँटना
भटकती रफ्तार मात न बने
आता है साया लेकर खंजर
खौफ़ का मुझमें दाग़ न बने
है बहुत धूल पथ के साए में
कहूॅं पोंछने को तो बात न बने
लगें दुखने उँगलियाँ लिख-लिख
क्यों छवि पे बटन-काज न बने
लगूॅं सोने जब निशा की गोद
दुत्कारे सिराहना, साथ न बने
बतियाता हूँ बादलों से बेहिस
ये पागलपन की ज़ात न बने
लगे हैं मेले, हैं सजी दुकानें
बस खिलौने से जज़्बात न बनें।
-राज सरगम
Kiya fanaa un aansuon ne
Jo mehmaan-e-aankh na bane
Bhool jati hain ragein lahoo bantna
Bhatkati raftaar maat na bane
Aata hai saya lekar khanjar
Khauf ka mujhme daag na bane
Hai bahut dhool path ke saaye mein
Kahun ponchhne ko to baat na bane
Lagein dukhne ungaliyaan likh likh
Kyon chhavi pe batan kaaj na bane
Lagu sone jab nisha ki god
Dutkare sirahna, saath na bane
Batiyata hu badalon se behis
Ye pagalpan ki zaat na bane
Lage hain mele hain saji dukanein
Bus khilone se jazbaat na bane.
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Beautifully written ..
Many thanks