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Best Himachali Sad Poems

Best Sad Kullvi Poem In Hindi Text

Sad Kullvi Poem In Hindi Translation | लाएै औछू मैं च़ापणै

Sad Kullvi poem in hindi images

बैडी दुनिया, लागी डौरदी हाऊँ केल्ही 
कौ ज़ानूं छौड़िया, ना सैंगी ना सेली

ब्यासा ढौई नाति, पर छ़िट्टै ज़ेत्रै आपणै
दुखै दौंद, रोज़ औछू च़ापदै च़ापदै

ज़ौमूं आंधरै गड़ाऊ रा ज़ाआ, कुणं हेरला 
बुहारिया साफ भैला उईं कुण केरला

पात्थरू पात्थरू घौरा रा लागा खांदा 
कौ गोझ़िणा, लागा झ़ूण्ड सौऊंतै पांदा

होरी नं की लेणा, एक पमेश्रै लोड़ी ढौकी
केरनूं माफ़ तीनां बै बी, ज़ुणिऐं हाऊं ज़ौकी।
-राज सरगम

Translated Version

दुनिया बड़ी, लगी डरने मैं अकेली
जाऊ कहां छोड़कर, साथी ना सहेली

ब्यास जितने रिश्ते, पर बूंद बराबर अपने
दुख आए दांत रोज़ आंसू चबाते चबाते

जम गया अंदर मकड़जाल, देखे कौन
भला बुहार कर साफ़ इसे करे कौन

पत्थर पत्थर घर का खाने लगा
कहां छिपूं, डालने लगा हर जगह साया

औरों से क्या लेना, एक परमेश्वर थाम ले
करूं माफ़ उनको भी, जिन्होंने मुझे torture किया।

रौई धाऊढ़ी

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केलै औंढदैआ बी तेरी सोठणी
हेरिया सा निरती कौन एै मेरी
गैरकी कीभै, लाई शुड़क जोचणी

सी हौआ छ़ेड-छ़ुड़का नैईं हेरिदा कोई
लागा डौरदा ठैंडै पाणियै बी हाऊँ
लाई खोलणी कीभै मेरी ता लोई

ज़ेत्रै दयाढ़ै ज़ीऊ, मुआं तुईं नं बोऊ
तौछ़ै हाड़कै बेशिया सेबीयै कौछ़ै
शकौऊ मेरी आपणी सिरै लोऊ

मिला सा ज़े बी तेई मालका रा कौम
नैईं लैड़िदा तेई सैंगै, कैर्म मेरै होलै
रौई धाऊढ़ी कीछ़ मु नं कीछ़ तौ नं।
राज सरगम

Translated Version

अकेले चलते हुए भी तेरी सोच
दिखता है कन्धा सूना मेरा
भारी क्यों, चुपके से वज़न डल रहा है

आवाज़ें उठती हैं दिखे ना कोई
लगने लगा भय ठन्डे पानी से भी
क्यों मेरी त्वचा उतारी जा रही है

जितने दिन जी लिया उतने दिन मरा
बैठकर नज़दीक सबने हड्डियां छील डालीं
मेरी अपनी नव्ज़ ने ही लहू सूखा डाला

मिले जो भी उस मालिक का काम
उसके साथ कहाँ लड़ा जाता है अपनी किस्मत
कुछ कमी मुझमें रही होगी कुछ तुझमें।

Sad Kullvi Poem In Hindi Text | खाता

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पौई चीड़ा ख़ुशी नं, सीमींट लानूं की माटा
ज़ौखै ज़ौखै पैक्का बुझ़ू मिलू तौखै काच़ा

लागी डणियांधी ढौकिया हौथ यादी तीनै री
डराऊणी ध्याडी, भस्मासुरा साई ऐ राता

कुणी देशा भैगी होली मेरी भूख शोख 
टांगुई ज़ैंढी मुंडी पांधै मेरी ठुंगी तिछी काता

फिरू कैंढा एै च़ार्ही धीरै नोखा बागर वयाना 
शोईणै रा खैतरा, ऐंदी लागी सी इसी बराता

चलो, ठीक सा, खादई निम्बई खोलणी पौई
आपणै-2 कैर्म, भौरी काधी धाऊड़ी पराता

होला आगे थोड़ा-घैणा शोभला लिखू दा
निकअला मेरै नां बी कौंईचे कोई खाता।
-राज सरगम

Translated Version

पड़ गईं दरारें ख़ुशी में, सीमेंट लगा लूं कि मिट्टी
जहां जहां मज़बूती महसूस की, वहीं कच्चापन पाया

याद उनकी हाथ पकड़कर टहलने लगीं
डरावने दिन, भस्मासुर की तरह रातें

किस देश चली गयी होगी मेरी भूख-प्यास
जैसे सिर पर कुंद-तेज़ कतरनी लटक आई

कैसा ये चारों ओर अजीब अंधड़ छा गया
ख़ौफ़ बह जाने का, आ रहीं हैं इस ओर बारातें

चलो, अच्छा है, भली बुरी निभानी पड़ेगी
अपने-2 कर्म, पूरी कभी अधूरी परात

होगा लिखा हुआ इससे आगे थोड़ा बहुत बेहतर 
जाए निकल कहीं मेरे नाम का भी खाता।

Learn Kullvi

प्रसिद्ध हिमाचली कहावतें

Best Himachali Poem | ऐज़ हैटी दबारा

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कीभै च़टेरू हाऊँ नज़री नं
ती हाऊँ तेरा आपणा

नौठा चुटिया हाऊँ पैठियै
एै खेऊ कैंडै मुं नापणां

हेरी नच़ांदी तू दुःख मेरा
लोका ठैठा मेरा बनाणां

आपणै दिला मैना रै धागै 
चुटै कीभै, हुएै झुखै आगै

काच़ै बी नैईं पैकै बी नैईं 
ठैगु हाऊँ पैता नैईं कुणीं रागै

ज़ीवाण केरी, ऐज़ हैटी दबारा
रौअला मुंभै बी थोड़ा ज़ैं भारा
-राज सरगम

Translated Version

क्यों छुड़वाया मुझे नज़रों से
था मैं तुम्हारा अपना

पूरी तरह से टूट गया मैं
ये दुःख मैं कैसे मापूं 

मत नचाना तुम ग़म मेरा
लोग मेरा मज़ाक उड़ाएंगे

अपने धागे दिल मन के
क्यों टूट गए, उलझनें आगे आ गईं

कच्चे भी नहीं पके भी नहीं
पता नहीं किस धुन से ठगा गया

मिन्नत है आ जाओ वापस दोबारा
रहेगा मुझे भी थोड़ा सा आसरा।

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