Best Rajniti Par Kavita Collection
Rajniti Par Kavita || जागरूक मतदाता
हमने तुम्हें रचा, किस बात का गुमान है
ये कभी ना कहना कि जनता अनजान है
चारों पहर तुमपे दृष्टि अपनी गड़ाऐ बैठे हैं
संग इसके सतर्क ये हमारे दोनों कान हैं
नहीं आवश्यकता, फर्ज़ स्मरण कराने की
बन सच्चा सेवक करना कर्तव्य सम्मान है
ना फैंको ऊँची-ऊँची, ना दिखे सोच नीची
दो प्रमाण बुद्धिमत्ता का, तुम्हारा काम है
दो एक सकारात्मक दिशा इस समाज को
जनता के घाव की यही इकलौती बाम है
सोए नहीं, हैं हम सब जागरूक मतदाता
देशहित में मतदान हमारा अपने में इनाम है।
-राज सरगम
Humne tumhein rachaa, kis baat ka gumaan hai
Ye kabhi na kehna ki janta anjaan hai
Charon pehar tumpe drishti apni gadaaye baithe hain
Sang iske stark ye humare dono kaan hain
Nhi aavashyakta farz smarn karane ki
Ban sachcha sevak karna kartavy sammaan hai
Na fainko unchi unchi, dikhe na soch nichi
Do pramaan buddhimattaa ka, tumhara kaam hai
Do ek sakaratmak disha is samaaj ko
Janta ke ghaav ki yehi iklauti baam hai
Soye nhi, hain hum sab jagruk matdata
Deshhit mein matdaan humara apne mein inaam hai.
गन्दी राजनीति पर कविता || बंधुआ मजदूर
सरकार अब विपक्ष की बंधुआ मजदूर हो गई
उनकी मनमानी प्रथम राष्ट्र-हित से दूर हो गई
दमखम वो ताम-झाम जनता के प्रति रूझान
क्या मतलब, पार्टी देश-परदेश मशहूर हो गई
धज्जियां उड़ी हैं समर्थकों के विश्वास मत की
राजनीति में हल्की फुल्की रूचि चूर चूर हो गई
चलाना था एजेंडा मसखरों को, चला लिया
बाहरी ताकतों की अंतिम इच्छा मंज़ूर हो गई
घर के सदस्य रुसवा कर गैरों पर तहरीरें लिखीं
ढूंढना होगा विकल्प अब फ़ज़ीहत भरपूर हो गई।
-राज सरगम
Sarkaar ab vipaksh ki bandhuaa majdoor ho gai
Unki manmaani pratham rashtr hit se door ho gai
Dumkhum woh taam-jhaam janta ke prati rujhaan
Kya matlab, party desh-pardesh mashhoor ho gai
Dhajjiyaan udi hain samarthakon ke vishwaas mat ki
Rajniti mein halki fulki ruchi choor choor ho gai
Chalana tha agenda maskharon ko, chala diya
Baahri taakaton ki antim ichhchha manzoor ho gai
Ghar ke sadsy ruswa kar gairon par tehreerein likhi
Dhundhna hoga vikalp ab fazihat bharpoor ho gai.
दूध का जला
रखा है हमने ऊँचे ओहदे पर
बनाकर अवाम का रखवाला
कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए
व्यर्थ अपना कीमती वोट दे डाला
ठूॅंसे खुद के मुँह में भर भर के
छीने औरों के मुँह से निवाला निवाला
कमी हमारी थी जो इनको चुना
भोगे है कष्ट जनमानस कई गुना
देना है हमें साक्षरता का परिचय भविष्य में
दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक पीए
सोचना ज़रा इस विषय में।
-राज सरगम
Rakha hai humne oonche ohde par
Bnakar awaam ka rakhwala
Kasauti par khare nhi utar paaye
vyarth apna keemti vote de dala
Thoonse khud munh mein bhar bhar ke
chhine auron ke munh se niwala niwala
Kami humari thi jo inko chuna
Bhoge hai kasht janmaanas kai guna
Dena hai humein saaksharta ka parichay bhavishy mein
Doodh ka jalaa chhachh bhi foonk foonk piye
Sochna zara is vishay mein.
Neta Par Kavita in Hindi || नेता नीति बनाता है
नेता नीति बनाता है
निर्दोष सूली चढ़ जाता है
नेता नीति बनाता है
मंहगाई का सैलाब आता है
नेता नीति बनाता है
गरीबी छोड़ गरीब मिटाता है
नेता नीति बनाता है
कमज़ोर को सोख अपनी तोंद बढ़ाता है
नेता नीति बनाता है
खुद कार, बंगला बनाता है
नेता नीति बनाता है
पब्लिक को द्वेष में लड़वाता है
नेता नीति बनाता है
दिल में कुछ ज़ुबां कुछ दिखाता है
नेता नीति बनाता है
नेतागिरी बाद मुफ्त पैंशन खाता है
नेता नीति बनाता है
देश देश चारों पहर रट लगाता है
नेता नीति बनाता है
पर अंदर से खोखला किए जाता है
नेता नीति बनाता है
Well educated से छाता पकड़वाता है
नेता नीति बनाता है
फ्री की रेवड़ी के झांसे में आदमी को डुबाता है…more to come
-राज सरगम