Pahadi Kavita: कुल्लू हिमाचल प्रदेश में बसा एक जिला है जिसकी गोद में मनाली जैसी सुन्दर Tourist Destination बसी है जिसकी एक झलक पाने की ललक में लोग मरे जाते हैं। इसकी ख़ूबसूरत बर्फीली वादियों की तरह ही यहां कही जाने वाली कुल्ल्वी बोली(भाषा) भी है जो अपने आप में सरलता का रस घोले हुए है। इस पोस्ट में मैं अपनी कविताओं के माध्यम से आपका परिचय इस सुरीली बोली से कराऊंगा। मन में ये ख़याल उठ रहा होगा ना कि भला हम कैसे समझ पाएंगे जो भाषा कभी सीखी नहीं। Wait.. wait… wait… आप अपनी इस उलझन का सुझाव कविता में आगे बढ़ते-बढ़ते स्वयं ही पाएंगे। तो चलिए मिलकर एक नई भाषा को literature के रूप में सीखने का प्रयत्न करते हैं।
Kullu is a district situated in Himachal Pradesh, in whose lap lies a beautiful tourist destination like Manali, people die in the desire to get a glimpse of it. Like its beautiful snowy valleys, the Kullvi dialect spoken here also has the essence of simplicity in itself. In this post, I will introduce you to this melodious dialect through my poems. This thought must be arising in our mind that how will we be able to understand the language which we have never learned? Wait… wait… wait… You will find the solution to your confusion as you move ahead in the poem. So let’s together try to learn a new language in the form of literature.
Pahadi Kavita | विधि री रीत
मौता देंदै दोष वागरी, होला माड़ा म्हारा कौम
होली काच़ी नींऊ, या माड़ै होलै भागै रै कौन
केरलै खेऊ मिलणां फौअ एक दयाढ़ै ज़रूर
च़ैमकणै भाग म्हारै, औगी नं लागणां खैरा पुर
कौ मिला सी ऐंढे बेशिया हीरै होलै या मोती
चोड़नी पौड़ा सी पसीना खोली कैई दयाढी दोती
देणी पौड़ा सी तारी डुघै नं, एक नैईं कैई बारी
पौड़ा सी चोड़नी दिलै रै डौर-भैई री कारी
ज़े डाअलै लाईया बूटा, देले नेई तेई बे पाणी
शुकणा तेई, नैई हौंदा तैबै होथा नं ज़ान तेई री बचाणी
डाअणा मान आमा-बापू रै खेऊ रा, ज़े म्हारी तैईंयें केरू
लोड़ी रयाऊ कीछ़ बैणिया, कौम म्हारा लोड़ी तीनै हेरू
लागी रौआ कबैलै, नैईं मिलदा ज़ां तैई कीछ़ न कीछ़
रौअणा आसा बैदलिया, बनाऊई दी विधि री रीत।
-राज सरगम
Hindi Translation-
ना दो दोष हवा को, होगी कमी हमारे काम में
होगी बुनियाद कच्ची, या भाग्य के कान कमज़ोर होंगे
करोगे मेहनत तो फल एक दिन ज़रूर मिलेगा
चमकेगी किस्मत हमारी, बढ़ जाएगी आग की लौ
कहां मिल पाते हैं बेकार बैठे रहने से हीरे मोती
तोड़ने पड़ते हैं कई दिन-सुबह पसीना बहा कर
एक नहीं ढेरों बार अतल गहराइयों में तैरना पड़ता है
तोड़नी पड़ती हैं दिल में समाए डर की लक्ष्मण रेखाएं
जो रखोगे पौधा रोप कर पर पानी से सींचोगे नहीं
सूख जाएगा, फिर उसकी जान बचाना हाथ से बाहर होता है
जो माता-पिता ने हमारे लिए किया उसकी आन बचाए रखें
कुछ कर के दिखाना, ताकि वे हमारी तरक्की देख सकें
नित लगे रहो, जब तक कुछ न कुछ ना मिले
रहेंगे बदलकर हम विधाता की बनाई हुई रीत।
Pahadi Kavita Text | ज़ाति-पाति
कीभै लैड़दै, ज़ाति-पाति रा झगड़ा छौड़ा
इनैं गैलै लाईया माणूं उथड़ै नं सा झौड़ा
रौआ मिलिया एकी होरी सैंघै प्यारा सैंघै
ऊईं नं फेटे सा की ऐआ दुनिया नं रैंग हौरा
लागी रौंअदी झ़ीक मीश माणूं री माणूं सैंगे
इनां बेल्ही चीज़ा बै तुसै पैठीयै शेटी चोड़ा
रौआ कबैले औंढदै वौगते री सुई सैंघै
हेरिया ऐई ज़माना रा चेहरा कीछ़ ता पौढ़ा
सा आसा सेबी रा लोऊ एकी रैंगा ढैंगा रा
कोशिश एैंढी केरा की सेबी बै सेबी नं ज़ोड़ा
एै मारे मौथै सा ज़ैंढै काएै दागा रा नशाणं
पुंझ़ी ऐई बै शेटा औज़ा नं फेटै केल्हा कोरा
ऐनूं आई पीढ़ी बै नैईं लागा लोड़ी पैता नां बी
मिलिया, ढौकिया ज़ाति-पाति रा मुथू मरोड़ा।
-राज सरगम
क्यों लड़ते हो, जात पात का झगड़ा छोड़ो
इन दकियानूसी बातों से आदमी ऊंचाई से गिर जाता है
एक दूजे के साथ प्यार से मिलकर रहो
इससे परे दुनिया में और क्या ही हरियाली
आदमी आदमी के साथ खुन्नस पाले रखे हैं
इन बकवास चीज़ों का तुम जड़ से उखाड़ फैंको
वक्त की सुई संग हमेशा चलते रहो
इस ज़माने का चेहरा थोड़ा सा तो पढ़ लो
हम सब का खून एक ही रंग ढंग का है
कोशिश ऐसी रहे कि सब आपस में जुड़े रहें
ये हमारे माथे पर काले निशान जैसी है
पोंछकर इसे आज से अकेला कोरा कर दो
आने वाली पीढ़ी को इसका नाम तक मालूम न हो
मिल के पकड़ के जात-पात का गला मरोड़ डालो।
Famous Pahadi Kavita | केरा इज्ज़त
केरा इज्ज़त इनै री, सी ज़े बेटड़ी, शोहरी
इनां बगैर कीछ़ नीं, नैई बनाणी दुनिया होरी
बोला सा पमेश्र; ज़ौखै बेटड़ी नैईं, कीछ़ नैईं तौखै
बैणी दयाढ-रात इनैं, जोथ-तारै बी इनां हेरी भौकै
सी ऐ. ता सा न्यार्हा घौर बी चारी धीरे प्याशा
ग्रौहण तकलीफा रा सा घैड़ी नं पला बै राशा
केरदै हेरीत दुखी, सी ऐ भगवानै री दूत
की मजाल तीनै री, डौरा सी ईनां नं बी भूत
सा सौ बी एक बेटड़ीयै, जुणं तीने री माँ सा
बौसू दा तेआ नं तीना रा बी सुखा रा ग्राँ सा
नैईं हौंदी बेटड़ी ता आसै ॵखै ऐंदै की नैईं ऐंदै
मैज़ा आमै रै फाड़ै रा पैता नैईं लेंदै की नैईं लेंदै।
-राज सरगम
Hindi Translation-
करो इज़्ज़त इनकी ये जो औरतें लड़कियां हैं
बगैर इनके कुछ नहीं, दूजा कोई दुनिया बना नहीं पाएगा
कहता है परमेश्वर, जहां स्त्री ना हो वहां कुछ नहीं
रात-दिन इन्हीं से, चांद तारे भी इन्हें देखकर टिमटिमाएं
यदि ये हैं तो अंधेरा घर भी चारों ओर रोशन है
ग्रहण तकलीफ़ों का पल में गायब हो जाता है
ना देना दुःख ये भगवान की दूत हैं
क्या मजाल भूत प्रेत की, इन्हें देख डर जाते हैं
उनकी जो मां है वो भी एक औरत ही है
उसके अंदर उनके सुख का गांव बसा है
ना होती स्त्री तो हम यहां आ पाते कि नहीं
आनंद मां की गोद का ले पाते कि नहीं।
Motivational Pahadi Kavita | सफाई अभियान
रैखा खास ख्याल, सा एै सफाई अभियान
होली ज़ौखै सफाई, वेशा सी ऐज़िया राम
च़ौला कौन्हा नं कौन्ह मलाया सेबी लोकै
हेरीला स्वर्ग सौऊंतै, डाअणा समाजा रा ध्यान
सा एै समाज म्हारी तैईयैं आपणै टैबरा साई
नैईं केरना लाऊ दा आसै ऐई पांधै कोई सान
केत्रा केरली केली देशै री म्हारी एै सरकार
फैर्ज़ आसा रा बी सा, शुणां खबर कानों कान
ताढ़ीली ज़ैबै सफाई और-पोरे, चारी कुणै नं
नां म्हारा हौणा, बोलणा लोका; सा इनां बै ज्ञान
ज़ै च़ैकी ज़ौंघ ओछ़ी ज़ैं आसै, गैल ओर हौणी
मिलणा आसा बै सेभ ज़ैगहा इज्ज़त और मान
केरा शुरूआत सफाई री दिला नं लेईया पैहलै
बोला सेभीयै ज़ोरै ज़ोरै: जय हो हिन्दोस्तान!
-राज सरगम
Hindi Translation-
रखो ख़ास ख़्याल, ये सफाई अभियान है
जहां शुद्धि होगी वहां राम आकर बैठते हैं
चलो सारे कंधे से कंधा मिलाकर
दिखेगा स्वर्ग हर ओर, रखेंगे समाज का ध्यान
ये समाज हमारे लिए परिवार की तरह हैं
हम इस पर कोई एहसान थोड़ी ना कर रहे हैं
अकेली हमारी सरकार कितना कर पाएगी
हमारा भी फ़र्ज़ बनता है सुनो ख़बर कानों कान
फैलेगी जब सफाई इधर उधर चारों दिशा
होगा नाम हमारा, कहेंगे लोग, है इन्हें ज्ञान
जो हमने नन्हा पांव क्या उठा लिया, बात अलग होगी
मिलेगा हमें हर जगह मान और सम्मान
सफाई की सबसे पहली शुरुआत दिल से करो
बोलो सारे ज़ोर ज़ोर से, जय हो हिन्दोस्तान!