पहाड़ों वाली शायरी Love 2 Line
पहाड़ों वाली शायरी Love
![](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-EABD0A2-1024x768.webp)
खोरी-खोरी तोपी
एकी-होरी तोपी
एकै सा एक
तू धोरी तोपी।
-राज सरगम
कोना-कोना ढूंढ़ा
एक-दूसरे में ढूंढ़ा
एक सिर्फ एक
तुझे खूब ढूंढ़ा।
भारा
![पहाड़ों वाली शायरी in hindi images](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-D2D8C95-1024x768.webp)
हिऊऐं भौरूई दी धारा
लागला तौभै ईनां रा भारा
छौडिया ज़ाणा देआ सा बमारी
रौई बकांदी दिला नं च़ारा।
-राज सरगम
बर्फ से ढकी चोटियां
लग जाए तुझे इनकी कसम
छोड़कर जाना देता है बीमारी
रहना जलाते दिल में दीया।
च़ैतर च़ोर
![हिमाचली पहाड़ी शायरी images](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-BEEAE26-1024x768.webp)
तेरै सो, तौ नं फेटै होर नैईं
सेभ नेऊ, तौ नं च़ैतर च़ोर नैईं
चुमक सा की गूंद सा तौ नं
मेरा आपु धीरियै लागै ज़ोर नैईं।
-राज सरगम
तेरी कसम, तुझसे परे और नहीं
सब ले गई, तुझसे चालाक चोर नहीं
चुम्बक है कि गोंद है तुझमें
मेरा मुझपर लागे ज़ोर नहीं।
औऊखी
![पहाड़ों वाली शायरी Love](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-E1553B6-1024x768.webp)
पुंढणी बैड़ी औऊखी
पठाऊणी साई तू
खुल माड़ी ज़ैं
रांबड़ी कौ भाई तू।
-राज सरगम
बूझना बेहद मुश्किल
पहेली की तरह तू
खुल जा थोड़ी सी
ठीक से कहां देखा तुझे।
मुंह फेरिया
![kullvi shayari images](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-CCDB8A9-1024x768.webp)
गौअ भौरूआ तौ हेरिया
शेटणी आगली पिछ़ली पेरिया
शणियाणी कौखै मुं होरतै
मौती बेशदा मुंह फेरिया।
-राज सरगम
गला भर गया तुझे देखकर
उड़ेल दूंगा अगली-पिछली
सुनाऊं कहां मैं कहीं और
मत बैठना मुंह फेरकर।
बुरा बुझ़णा?
![pahari poem images](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-B539188-1024x768.webp)
हाऊं उथड़ा बोलनूं तौ बुरा बुझ़णा?
पागलै बांढी खाक सूज़णा ऐ सुज़णा
सोच़ी तेरै याणै ऐ, भाअ-शूण केरनी
हाणी औछी बै पोपण कादी खुबणा!
-राज सरगम
मैं ऊंचा बोलूं तो बुरा मानोगे?
पागल, बांझ मुंह बच्चा देगा ही देगा
सोचना तेरी औलादें ये, कर लेना देखभाल
भला आंख को पलकें कब चुभें!
झ़ूरी
![पहाड़ों वाली शायरी love english images](https://www.rhymingtalks.in/wp-content/uploads/2024/05/New-Project-358-4750A14-1024x768.webp)
बागर-बयाना फिरदा रौअला
आसा कतैई नी तौल्हणा
काठ कुणी घौर ज़ैंढै आसै
झ़ूरी एै कौम नीं औलढ़ा।
-राज सरगम
हवाएं चलती रहें
हम कतई ना हिलेंगे
काठ-कुनी घर जैसे हम
प्यार ये काम नहीं ढीला।